नक्सल प्रभावित बैरिया हाई स्कूल में लडकियों की उपस्थिति इस बात को जताने के लिए काफी है
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: प्रखंड का बैरिय गांव जो कभी नक्सल प्रभावित था, आज यहां की बच्चियां पढाई में लडकों को टक्कर देने लगी हैं। ऐसा उदाहरण यहां स्थित हाईस्कूल एवं मध्यविद्यालय में छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की उपस्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। इसका श्रेय यहां के प्रधान राजेश कुमार को जाता है। यह बता दें कि 2000 के दशक तक यह गांव नक्सल प्रभावित होने के कारण हमेशा ही चर्चा में रहा करता था, पता नहीं कब किसके साथ कौन-सी अप्रिय घटना घट जाए। परंतु कहा गया है, समय सबकुछ बदल देता है और समय के साथ सबकुछ बदलता चला गया। वर्ष 2007 से यहां पक्की सडकों के निर्माण की पहल शुरू हुई, तबसे यहां अपराध तथा नक्सली प्रभाव पर लगाम लगता चला गया। इस गांव के विद्यालय की सूरत भी बदली। गांव में ही हाईस्कूल खूल गया तथा भवन भी बन गया। नतीजा सामने है कि यहां के बच्चों में पढने की ललक बढती चली गई। खासकर बेटियों में इसका समुचित प्रभाव पडा तथा उनमें पढाई के प्रति पंख लगते चले गए। अब तो यह हाल है कि हाईस्कूल में बच्चों की उपस्थिति होने पर कमरा छोटा पड जा रहा है। इनमें छात्राओं की संख्या स्पष्ट रूप से अधिक देखी जा सकती है। परंतु दूर्भाग्य यह है कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी है, खासकर हाईस्कूल में मात्र तीन शिक्षक हैं, जबकि इसमें हर विषय में शिक्षक होने चाहिए।
इस विद्यालय में एक बात सबसे खास है कि यहां कभी भी कोई चला जाए, शिक्षकों को कक्षा लेते हुए पाया जाता है, जो इस बात को साबित करता है कि कुछ इसी कारण यहां के बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक जगी है। इस संबंध में मुखिया अमीन रविदास, सामाजिक कार्यकर्त्ता रामजी जायसवाल आदि कहते हैं कि समय के साथ सरकार की व्यवस्था के कारण बदलवाल जरूर हुए, परंतु अब बच्चों की जिस प्रकार उपस्थिति हो रही है तथा बच्चों में पढने की ललक जगी है, इस परिस्थिति में यहां शिक्षकों एवं अतिरिक्त भवन की भी जरूरत है, ताकि इन बच्चों का भविष्य संवर सके। उसमें भी जिस प्रकार लडकियां में पढने की ललक बढी है तथा वह लडकां को पीछे छोड रही हैं, उस परिस्थिति में सरकार को पहल करनी चाहिए तथा संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए। देखें इन गांव की बच्चियों के हौशले की उडान को कबतक समुचित रूप से पंख लगे रहते हैं।
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