- अजीब संयोग, दादी की मौत के बाद दो दिनों तक दादी का शव पोते के इंतजार में पडा रहा, पोता के आते ही काढागोला घाट पर अंतिम-संस्कार के लिए सभी स्वजन गए
- शव के जलने के बाद बची राख एवं शव के कुछ अंश को लेकर पोता जैसे ही नदी में घुसा वह राख के साथ नदी में समाता चला गया
- उसे बचाने अन्य दो युवक भी कुदे, परंतु वे भी डूबने लगे, जिन्हें स्थानीय मछुआरों ने बचाया
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: कहते हैं होनी होनी होती है, जो सात समुंदर पार भी हो के रहती है। ऐसी ही एक होनी टीकापट्टी थाना क्षेत्र के गोडियर मिलिक टोला गांव में देखने को मिला है। यहां एक पोते अमित उम्र 22 वर्ष पिता हरेराम महतो को अपनी दादी रामपरी देवी से इतना स्नेह था कि वह दादी की मौत की खबर पाकर अपनी दादी की अंतिम-इच्छा की पूर्ति के लिए आसाम से मजदूरी छोडकर रोता-कलपता घर आया था। उसकी दादी की इच्छा थी कि उसका पोता उसके अंतिम-संस्कार में जरूर शामिल हो। इसके लिए दो दिनों तक शव को रोककर रखा गया। अमित के आते ही दादी को काढागोला घाट पर अंतिम-संस्कार के लिए ले गए। शव के जलने के बाद जब उसके राख एवं उसमें बिखरी अस्थियों के टूकडों को लेकर अमित मां गंगा में बहाने गंगाजी की गोद में घुसा, वह बस घुसता ही चला गया। इस दृश्य को देखकर उसके स्वजन सनोज कुमार एवं मिथिलेश कुमार उसे बचाने नदी में कूदे, परंतु वे भी डूबने लगे। उन्हें डूबता देख लोग शोर मचाने लगे। उनकी चींख सुनकर मौके पर नाविकों ने सनोज एवं मिथिलेश को बचा तो लिया, परंतु अमित को नहीं बचा पाए। वह गंगा मां के गोद में समा गया था। लगातार दो दिनों तक एनडीआरएफ की टीम उसे खोजने में लगी हुई थी, परंतु उसका कोई पता नहीं चल पाया है।
अमित पांच भाई-बहनों में बडा था-
अमित अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बडा था, इसलिए वह सबका दुलारा था। दादी रामपरी देवी तो उसपर जान छिडकती थी, वह उनके आंखों का तारा था। अमित पर ही पूरे घर की जिम्मेदारी थी, उसके भाई-बहन छोटे-छोटे थे, इसलिए अमित आसाम में राजमिस्त्री का काम करके अपने घर का भरण-पोषण कर रहा था। उसकी दादी का निधन 28 सितंबर को हो गया था। उसे जब सूचना मिली तो वह रोता-कलपता 30 सितंबर को घर पहूंचा तथा दादी के शव से लिपटकर चित्कार कर उठा। वह अंतिम-संस्कार में शामिल हुआ तथा संयोग ऐसा रहा कि दादी के साथ अमित भी सदा के लिए गंगाजी की गोद में समा गया है, उसका शव अभी तक नहीं मिल पाया है।
उसकी मौत से पूरा घर चित्कार कर उठा है-
अमित की मौत की खबर जैसे ही पहूंची, वैसे ही चित्कार मच गया। मां श्यामला देवी, छोटा भाई सुमित कुमार, राहुल कुमार, बहन संगीता, मंजीता, पिता हरेराम महतो सहित सभी लोग चित्कार कर उठे। हरओर चित्कार मच गया। मां श्यामला देवी, पिता हरेराम महतो का चित्कार तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उसका अमित अब इस दुनिया में नहीं रहा। वे अपने को कोस रहे हैं कि वेलोग क्यों दो दिनों तक शव को अमित की आशा में रखा, पहले अंतिम-संस्कार कर दिया होता तो आज अमित निश्चित रूप से जिंदा होता। पूरा गांव उनकी रूलाई से शोक-संतप्त है। कुल मिलाकर उसकी मौत ने सबको रूला दिया है, देखें एनडीआरएफ की टीम उसके शव को खोजकर कबतक स्वजनों को सौंपती है।
जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मुआवजा की मांग की है-
मुखिया जानकी देवी, वार्ड सदस्य रामानंद महतो समेत सभी जनप्रतिनिधियों ने सरकार से पांच लाख रूपये मुआवजा देने की मांग की है।
![दादी का प्यार पोते को मौत के करीब ले आई तथा दादी के साथ पोता भी समाया नदी में Grandmother's love brought her grandson close to death and the grandson also drowned in the river along with the grandmother.](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/10/WhatsApp-Image-2023-10-01-at-4.00.49-PM.jpeg)
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