पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: भाकपा माले के प्रथम महासचिव एवं पार्टी संस्थापक चारू मजूमदार की 51वीं वरसी को यहां के भाकपा माले कार्यकर्त्ताओं ने संकल्प दिवस के रूप में मनाया तथा उनके चित्रपर फूलमाला चढाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसका नेतृत्व माले के जिला कमिटी सदस्य कामरेड चतुरी पासवान ने किया। श्रद्धांजलि सभा का आयोजन छर्रापटी गोपीटोला गांव में संकल्प दिवस के रूप में किया गया। सभी कार्यकर्त्ताओं सबसे पहले पार्टी का झंडोत्तोलन करते हुए उसे सलामी दी। मौके पर कामरेड पासवान ने कहा कि उनके नेता कामरेड चारू मजमूदार उनके दिलों में आज भी जीवित हैं, उनके द्वारा छोडे गए अधूरे सपनों को वे साकार करते रहेंगे। वे सभी संकल्पित होते हैं कि वेलोग पार्टी को और मजबूती प्रदान करेंगे। उन्हेंने कहा कि शहीद मजमूदार का जन्म 1918 ई को पश्चिम बंगाल के सिलीगुडी में हुआ था। वे जमींदार परिवार में जन्म लिए थे, परंतु जमींदारों द्वारा गरीबों एवं किसानों के साथ किए जा रहे शोषण से काफी मर्माहित थे। वे कॉलेज छोडकर 1937 में सीपीआई से जूडे तथा गरीबों के लिए कुछ करने की ठानी। कुछ इसी कारण उन्हेंने इन गरीबों, किसानों की आवाज को बुलंद किया तथा उनकी आवाज बने तथा वहीं से वे इन जमींदारों के खिलाफ आवाज उठायी तथा गरीबों को हक दिलाने लगे। सबसे पहले उन्होंने बिडी बनानेवाले मजदूरों को संगठित किया तथा उन्हें आवाज दी। कुछ इसी कारण उन्हें नक्सलिज्म का पिता कहा गया। उनके द्वारा लगातार जमींदारों के खिलाफ उठाए जा रहे कदम, यहां की सरकार को पसंद नहीं आयी तथा तथा वे देष के मोस्ट वांटेड में आ गए।
16 जुलाई 1972 को उन्हें कोलकाता पुलिस ने गिरफतार किया, जहां उन्हें भीषण यातनाएं दी गई, जिससे उनकी मौत 28 जुलाई को हो गई। दुर्भाग्य कि पुलिस ने उनकी लाश को भी परिजनों को नहीं सौंपा तथा उन्हें जला दिया गया। वे हमेशा के लिए अमर बन गए। उन्होंने सभी कार्यकर्त्ताओं से उनकी राह पर चलने की अपील की, तभी उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कामरेड चतुरी पासवान ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा सरकार अघोषित आपातकाल लागू कर दिया है। लोगों की स्वतंत्रता खत्म हो गयी है। लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। सांप्रदायिक एवं सामंती ताकतें गरीबों पर जूल्म ढाने शुरू कर दिये हैं। उन्होंने सभी से नया इंडिया बनाने की अपील की। मौके पर कामरेड चतुरी पासवान के अलावा कामरेड अनुपलाल बेसरा, कामरेड सुलेखा देवी, कामरेड वीणा देवी, कामरेड भगवान शर्मा कामरेड त्रिवेणी मंडल, कामरेड जयलाल यादव, कामरेड सहदेव उरांव, कामरेड संगीता देवी सहित अनेक कार्यकर्त्ता मौजूद थे।
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