सहरसा, अजय कुमार: मिथिलाक्षर को अगर आम आदमी के बीच सहज, सुगम और लोकप्रिय बनाना हो तो मोबाइल और कमप्यूटर हेतु अविलम्ब विकसित करें मिथिलाक्षर अथवा तिरहुताक्षर की-बोर्ड। यह बात युवा शिक्षाविद, मैथिली अभियानी, भाषा समाजशास्त्री एवं देवता निभा राजनारायण फाउंडेशन के संस्थापक डॉ अक्षय कुमार चौधरी द्वारा कहा गया है। डॉ चौधरी ने कहा कि जिस दिन मैथिली की-बोर्ड तैयार हो जाएगा तदुपरांत महीनों दिन नहीं लगेगा। मिथिलाक्षर मैथिल जन जन की प्रिय लिपी हो जाएगी। इससे मैथिली को अपनी स्वलिपी में विस्तार एवं विकास कार्य में भी काफी मदद मिलेगी। अभी सोशल मीडिया पर इस लिपी को प्रयोग करने वाले लोग बंगला और आसामी लिपी से मिलते जुलते वर्ण का चुनाव कर लेखन कार्य कर रहे हैं। परन्तु यदि मिथिलाक्षर की कोई लिपी जब बंगला अथवा आसामी में उपलब्ध नहीं होते हैं तो ऐसी परिस्थिति में या तो प्रयुक्त हुए शब्द को बदलना पड़ता है अथवा बंगला के मूल वर्ण को स्थानापन्न करना पड़ता है। जो काफी दुरूह और माथापच्चीपूर्ण होते हैं। कुछ लोग तो टैक्स्ट में पूर्णत: बंगला लिपी, मात्रा तथा संयुक्ताक्षर का ही व्यवहार कर उसे मिथिलाक्षर समझाते हैं। यह भी मिथिलाक्षर के पहचान और अस्मिता हेतु अहितकारी है। डॉ चौधरी बताया कि गूगल पर विभिन्न भाषा में लिपी और भाषा अनुवाद की सेवा एवं सुविधा दी गयी है जिसमें मैथिली के लिए भी भाषा अंतरण की सुविधा जोड़े जाने का दावा किया जाता है। परन्तु यह काफी त्रुटिपूर्ण है।
मिथिलाक्षर लिपी में अंतरण की सुविधा तो उपलब्ध है ही नहीं और यदि देवनागरी लिपी मे अनुवाद का प्रयास भी किया गया है। मेमोरी में मैथिली का शब्द भंडार अत्यल्प से भी अल्प है। अत: यह ज्यादा कारगर नहीं है। कई मैथिलाक्षर अभियानी लोग जिज्ञासु छात्र को मेनुअल रूप से मिथिलाक्षर का ज्ञान दे रहे हैं। लोग काफी अभिरुचि के साथ इसको सीखते भी हैं। किंतु इसका दैनिक जीवन में अभ्यास नहीं होने से लोक लिपी, मात्रा और संयुक्ताक्षरों को विस्मरण कर देते हैं। आजकल सोशल मीडिया खासकर फेसबुक और ट्वीटर का प्रयोग लोगों का आदत बन गया है। करोड़ों लोग प्रतिदिन स्टेटस अपडेट और मैसेज में भाषा और लिपी का प्रयोग करते हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि मिथिलाक्षर की की-बोर्ड तैयार हो जाती है तो मैथिली एवं मिथिला लिपी के क्षेत्र में एक अद्भुत क्रांति आ जाएगी। इसीलिए तो सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अन्वेषण करने वाले यदि कोई मिथिला के नक्षत्रवली पुत्र हैं तो वह आगे आकर अविलम्ब मिथिलाक्षर के की-बोर्ड का निर्माण करें।
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