सहरसा, अजय कुमार: लोक व शास्त्रीय नृत्य को आत्मसात कर राज्य से लेकर राष्ट्रीय पहचान बनाने में नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। जहाँ महिलाएं भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है और समाज भी अब उनके पहचान को सम्मान दे रहा है। इसी कड़ी में सहरसा जिला मुख्यालय के आजाद चौक निवासी ऊषा कुमारी एवं संतोष कुमार की कनिष्ठ सुपुत्री अग्रिमा राज ने भी लोक व शास्त्रीय नृत्य को आत्मसात कर राज्य से लेकर राष्ट्रीय पहचान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 17 जून 2005 को जन्मी अग्रिमा ने अपने माता के सहयोग से छोटी उम्र से ही अपनी नृत्य को पहचान दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करते रही। अपने नृत्य को और परिपक्व बनाने हेतु सन 2012 से अग्रिमा शशि सरोजनी रंगमंच सेवा संस्थान से जुड़ कर लगातार प्रशिक्षण लेते रही। संस्थान के स्थापना की पहली छात्र है अग्रिमा। संस्थान ने भी अग्रिमा के प्रीतिभा को देख उनके पंख को उड़ान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई सरकारी और गैर सरकारी उत्सव, महोत्सव जैसे मिथिलांचल नाट्य महोत्सव, नाट्य निर्देशक आरटी राजन स्मृति समारोह, जिला व राज्य युवा उत्सव, कोसी महोत्सव, श्री उग्रतारा महोत्सव, वाणेश्वरी महोत्सव, सोनपुर महोत्सव आदि में अपनी प्रीतिभा का परचम लहड़ा चुकी है।
नृत्यांगना अग्रिमा ने शास्त्रीय नृत्य के साथ-साथ लोक नृत्य में भी राष्ट्रीय मंच तक धमक दिखा चुकी है। नृत्य के बलबूते मुकाम बनाने में लगी अग्रिमा कहती है कि इस क्षेत्र में हम जो भी सम्मान पा चुके है उसका सारा श्रेय संस्थान के नाट्य निर्देशक कुन्दन वर्मा को जाता है। जिनके सानिध्य में रहकर मैं लोक नृत्य के बारीकियों को बखूबी सीखी और शास्त्रीय नृत्य के लिए भी उन्होंने उक्त संस्थान में प्रशिक्षण हेतु प्रेरित किया। इतना ही नहीं अग्रिमा कहती है कि कला का एक्सपरटाइज किसी एक विधा में होनी चाहिए। लेकिन कला को कोई सीमित में नहीं बांध सकता है। इसलिए मैंने कुन्दन सर के सानिध्य में अभिनय के बारीकियों को भी सीखा है और कई नाटकों में अभिनय करने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। कला के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित हो चुकी है अग्रिमा। वर्तमान में 12वीं कर प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से नृत्य में प्रभाकर करते हुए नए कलाकारों को नृत्य से जोड़ रही है।
![लोक व शास्त्रीय नृत्य को राष्ट्रीय पहचान बनाने में नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन In making folk and classical dance a national identity, dance is a ritualistic display of human expressions.](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/04/IMG-20230428-WA0004.jpg)
Tiny URL for this post: