दानापुर प्रखंड के दाउदपुर गाँव के मरीजों में किया गया एमएमडीपी किट का वितरण
पटना: फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पटना जिले के दानापुर प्रखंड के दाउदपुर गांव के 3 हाथीपांव के मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया. दानापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 5 फ़ाइलेरिया मरीजों को चिकित्सीय सेवा उपलब्ध करायी गयी. पाँचों फ़ाइलेरिया रोगियों की पूरी जांच की गयी और उन्हें दवा भी उपलब्ध करायी गयी.
- फाइलेरिया से ग्रसित शरीर के अंगों को साफ-सुथरा रखने की जरूरत:
दानापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सक डॉ. विद्या कुमारी ने सभी फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट का किस प्रकार उपचार में उपयोग एवं आवश्कता पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने सभी मरीजों के समक्ष एक रोगी के पैर की सफाई कर उपस्थित मरीजों को एमएमडीपी की विधि बताई. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है. एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए. इससे मरीजों को तत्काल राहत मिलती है और उनका दर्द एवं सुजन कम जाता है.
- इन्हें मिली एमएमडीपी किट:
दाउदपुर गाँव के माँ दुर्गा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की फुलझरिया देवी, शांति देवी एवं मानती देवी को चिकित्सकों द्वारा एमएमडीपी किट उपलब्ध करायी गयी. कुल 5 मरीजों की जांच की गयी जिसमे 4 हाथीपांव के मरीज एवं एक मरीज हाइड्रोसिल से ग्रसित हैं. शांति देवी ने बताया कि हमें किट प्रदान की गयी और फ़ाइलेरिया के बारे में कई जानकारी प्राप्त हुई. हमारा विश्वास सरकारी अस्पताल पर बढ़ा है और हम फ़ाइलेरिया के लक्षण दिखाई पड़ने वाले लोगों को तत्काल यहाँ आकार जांच कराने के लिए प्रेरित करेंगे.
- क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया:
दानापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार ने मरीजों को जानकारी देते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल में फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को नि:शुल्क दवाएं दी जा रही है. यह रोग संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है और काटने के बाद किसी भी व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है. इससे या तो व्यक्ति के हाथ-पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है. फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है और इसका इसका कोई स्थायी इलाज संभव नहीं है. इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है. इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए.
