दिल्ली/पूर्णिया: 10 साल में 4 बार सियासी पलटी मार चुके बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पीएम मोदी के साथ आई तस्वीर की चर्चा बिहार की हर गली में हो रही है। दरअसल दिल्ली में हुई जी-20 की बैठक में नीतीश कुमार को भी बुलाया गया था। वहीं पर पीएम मोदी से उनकी मुलाकात हुई। एनडीए गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार ने जिस तरह से तल्खी दिखाई थी, ये मुलाकात उससे बेहद अलग दिखी। दोनों के बीच जिस तरह से हावभाव दिख रहे थे उससे कई तरह के कयास भी लगने शुरू हो गए हैं। पत्रकार एशिया की खबरों की माने तो दरअसल साल 2017 में भी पीएम मोदी के साथ ऐसी ही एक मुलाकात हुई थी, उसके बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। वो मुलाकात मॉरीशस के राष्ट्रपति के सम्मान समारोह में हुई थी। हालांकि, इसी तरह साल 2022 में तेजस्वी यादव से मिलने के 2 महीने बाद एनडीए से नाता तोड़ लिया था। मई 2022 में तेजस्वी और नीतीश के बीच मुख्यमंत्री आवास में करीब 1 घंटे तक बैठक चली थी, जिसमें महागठबंधन सरकार का खाका खिंचा गया था। जी-20 से आई दोनों नेताओं की तस्वीर के बाद और विपक्ष के गठबंधन का संयोजक न बनाए जाने से नीतीश कुमार की कथित नाराजगी की खबरें भी हैं। ऐसे में सवाल इस बात का है दिल्ली में हुई ये मुलाकात एक प्रोटोकॉल का हिस्सा भर माना जाए या फिर हावभाव को ध्यान में रखकर अटकलें लगाई जाएं।
- पहले ग्राफिक्स से समझिए नीतीश ने कब-कब पाला बदला?
- नीतीश के एनडीए में जाने की अटकलें क्यों, 3 वजहें…
नीतीश के एनडीए में जाने की अटकलें बे सिर पैर की बात नहीं है। इसकी 3 मुख्य वजहें भी है, जो अभी सियासी सुर्खियों से काफी दूर है।
- INDIA गठबंधन में नीतीश को नहीं मिल रहा ग्रीन सिग्नल
एनडीए गठबंधन छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी मोर्चे की कवायद शुरू की। सबको साथ लाने की नीतीश की रणनीति काफी हद तक कामयाब भी रही। कांग्रेस समेत 28 दलों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बनाने की घोषणा की।
मोर्चे का नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलांयस) रखा। इंडिया गठबंधन की अब तक 3 मीटिंग हो चुकी है। गठबंधन के कॉर्डिनेशन कमेटी की भी एक मीटिंग हाल ही में हुई थी। इतने मीटिंग होने के बावजूद नीतीश के हाथ अब तक खाली हैं। जेडीयू के लोग नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के सबसे प्रबल दावेदार बताते हैं, लेकिन इंडिया गठबंधन से नीतीश को अब तक इसको लेकर हरी झंडी नहीं मिली है। इतना ही नहीं, लालू यादव भी नीतीश को आगे बढ़ाने की पैरवी नहीं करते दिख रहे हैं। नीतीश को पहले उम्मीद थी कि लालू की पैरवी से वे उन दलों को साध लेंगे, जिससे उनका संपर्क बढ़िया नहीं है। उल्टे आरजेडी के नेता गाहे-बगाहे नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने की बात कह चुके हैं। वहीं लालू यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कह चुके हैं। जबकि जेडीयू नीतीश को इस पद का सबसे बड़ा दावेदार मानती है। बिहार के सियासी गलियारों में एक सियासी ‘डील’ की भी चर्चा खूब होती है। इस डील के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी तेजस्वी के लिए छोड़ देंगे। तेजस्वी के साथ जेडीयू के ललन सिंह उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं।
नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लोजपा (आर) के चिराग पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा अपनी कुर्सी बचाने के लिए पाला बदलते हैं। 2017 और 2022 में भी उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित रखने के लिए ही पाला बदला था।
- हरिवंश पर चुप्पी, संजय झा को आगे किया
नीतीश कुमार राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर चुप्पी साधे हुए हैं। दिल्ली बिल पर हरिवंश की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई थी। इसके बाद नीतीश की खूब आलोचना भी हुई। पार्टी ने इससे बचने के लिए हरिवंश को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि, हरिवंश अभी भी जेडीयू के सदस्य हैं। हरिवंश जुलाई में नीतीश कुमार से मिले भी थे। 2017 में नीतीश कुमार को एनडीए के करीब लाने में हरिवंश ने बड़ी भूमिका निभाई थी। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के मुताबिक उस वक्त हरिवंश, आरसीपी सिंह और संजय झा ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के लिए नीतीश को मनाया था। हरिवंश पर जहां एक ओर नीतीश चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं संजय झा को राजनीति रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। बुधवार को दिल्ली में कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक में जब ललन सिंह नहीं पहुंचे, तो नीतीश ने संजय झा को भेज दिया। संजय झा बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं। राष्ट्रीय संगठन में झा एकमात्र नेता हैं, जो सरकार में मंत्री और पार्टी में पदाधिकारी के पद पर भी हैं।
- जेडीयू नेता और उनके करीबियों पर ED-IT का रेड
पिछले 6 महीने में ईडी और इनकम टैक्स विभाग ने जेडीयू के कई नेताओं को रडार पर लिया है। बुधवार को जेडीयू के एमएलसी राधाचरण सेठ को ईडी ने गिरफ्तार किया है। राधाचरण सेठ पर बालू घाट के ठेकों में करोड़ों की हेराफेरी एवं टैक्स चोरी के आरोप हैं। सियासी गलियारों में सेठ को जेडीयू का फंड राइजर भी कहा जाता है. सेठ पर शिकंजा कसने से पहले जून 2023 में जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी के करीबियों के यहां इनकम टैक्स ने छापा मारा था। इनकम टैक्स की यह कार्रवाई मंत्री विजय चौधरी के साले अजय सिंह उर्फ कारू और ललन सिंह के करीबी गब्बू सिंह पर हुई थी। दोनों पर टैक्स चोरी का आरोप है। हालांकि, जेडीयू का कहना है कि चुनावी साल में परेशान करने के लिए छापेमारी हो रही है।
- बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है नीतीश कुमार?
बीजेपी के बड़े नेता नीतीश कुमार को फिर से साथ नहीं लेने की बात कह चुके हैं। हालांकि, जानकारों का कहना है कि नीतीश बिहार में बीजेपी के लिए अभी भी जरूरी है। बिहार में नीतीश कुमार से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी कई गुटों में बंट चुकी है। वहीं 28 दलों को एक साथ जोड़कर नीतीश कुमार ने अपनी शक्ति भी दिखा दी है। पहली बार किसी नेता के प्रयास से कांग्रेस के साथ इतने दल आने पर राजी हुआ है। बीजेपी यह भी जानती है कि नीतीश अगर इंडिया में रहे, तो कुनबा और बढ़ सकता है।
इसके अलावा कई सर्वे में बिहार में बीजेपी की सीटों में कमी का अनुमान लगाया गया है। इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे की मानें तो ‘इंडिया’ गठबंधन के खाते में 26 और एनडीए के खाते में 14 सीट जा रही है। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी को 17, लोजपा को 6 और जेडीयू को 16 सीटों पर जीत मिली थी। बिहार के अलावा जेडीयू का असर झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी है। झारखंड में नीतीश कुमार की पार्टी 2 सीटों पर उलटफेर करने में सक्षम है।
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