पूर्णिया: डाॅ॰ डी॰ आर॰ सिंह, माननीय कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, के निर्देश पर दिनांक 17 फरवरी 2024 से मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान विभाग भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ द्वारा कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय (17 फरवरी से 02 मार्च, 2024) सर्टिफिकेट कोर्स के प्रमाण पत्र वितरण-सह-समापन समारोह का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम में अतिथि की रूप में एवं डाॅ विनोद कुमार वरीय वैज्ञानिक एवम प्रधान, कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया की सहभागिता रही। अतिथियों को प्राचार्य डा॰ पारस नाथ ने बुके प्रदान कर सम्मानित किया गया। डा0 पंकज कुमार यादव, नोडल पदाधिकारी-सह-समन्वयक सहायक एंव प्राध्यापक-सह-कनीय वैज्ञानिक मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान विभाग द्वारा पूरे प्रशिक्षण की आख्या प्रस्तुत करते हुए विधिवत जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स अन्तर्गत कृषि की आधुनिक तकनीक की जानकारी के लिए 15 दिनों तक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की विभिन्न संस्थाओं के वैज्ञानिकों जैसे कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया एवं सिंचाई अनुसंधान केन्द्र अररिया, सिंचाई अनुसंधान केन्द्र मधेपुरा, बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर, डाॅ॰ कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज एवं भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ के कुल 56 वैज्ञानिकों ने कुल 75 विषयों पर निर्धारित पाठ्यक्रम के अन्तर्गत सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण के साथ साथ अन्य विषय वस्तु विषेषज्ञों जिनमें कीट विज्ञान, पौध रोग विज्ञान, सस्य विज्ञान, उद्यान विज्ञान के अलावे बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया, मल्टीनेशनल कम्पनी के विशेषज्ञों के द्वारा बीज उत्पादन तकनीक, उर्वरक, जैव उर्वरक एवं कीटनाशी आदि पर व्याख्यान कराकर जानकारी प्रदान करायी गई।
उन्होेने यह भी बताया कि एक्पोजर विजिट के लिए सभी प्रतिभागियों को दो दिनों तक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का भ्रमण भी कराया गया। जिसमें प्रमुख रुप से जैव उर्वरक उत्पादन ईकाई, एजोला, नील हरित शैवाल, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला आदि का भ्रमण कराकर विस्तार पूर्वक सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी प्रदान की गई, जो प्रतिभागियों के लिए काफी लाभकारी रहा। कार्यक्रम के समापन से पूर्व सभी प्रशिक्षणार्थियों की लिखित एवं मौखिक परीक्षा ली गई। परीक्षा के परिणाम के आधार पर सभी प्रतिभागियों को निर्णायक समिति द्वारा प्रमाण प्रदान करने की संस्तुति की गई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में मृदा वैज्ञानिक डा0 पंकज कुमार यादव द्वारा अपने व्याख्यान में बताया कि किसान खेती में अपने कुल पूँजी का करीब 45 से अधिक खर्च उर्वरक पर करता है। यदि प्रति हेक्टेयर उर्वरक उपयोग की बात करें तो 1950-51 में 490 ग्राम था। भारत चीन के बाद दुनिया में उर्वरकों का प्रयोग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। किसान सबसे ज्यादा उर्वरको में यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके एसएसपी, जिंक सल्फेट, कॉपर सल्फेट आदि का प्रयोग करता हैं। मृदा वैज्ञानिक डा॰ जनार्दन प्रसाद द्वारा मिट्टी का नमूना प्राप्त करने की विधि को विस्तार पूर्वक बताया गया। डा॰ तपन गोराई द्वारा फसल लगाने से पूर्व डिजिटल एप्प क्राॅप डाॅक्टर के प्रयोग के माध्यम से उर्वरकों की गणना के बारे में जानकारी दी गई। डा॰ रूबी साहा द्वारा प्रतिभागियों को उर्वरक प्रयोग की विधि के बारे बताया गया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डा॰ पारस नाथ ने प्रशिक्षणार्थियों से फीड बैक लिया समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स अन्तर्गत प्रतिभागियों द्वारा प्रदान किये गये फीड बैक से प्रसन्नता व्यक्त की तथा उन्होंने उनके उज्वल भविष्य की कामना करते हुए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय के महत्ता पर चर्चा करते हुए यह बताया कि बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। इस राज्य को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने हेतु वर्तमान उपज को बढ़ाकर दोगुना करना होगा, इसके लिए संतुलित उर्वरक का प्रयोग महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है, इसके लिए तकनीकी जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है जो इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थी किसानों को प्रदान करने का कार्य करेंगे। आज भी लगभग 70 प्रतिशत किसान कृषि उपादान का क्रय बिक्रेताओं के सलाह पर ही करते हैं।
आप सभी कृषि उपादान बिक्रेताओं का यह कर्तव्य है कि किसानों को उनके आवश्यकता के अनुरूप उचित सलाह देते हुए सही उपादान का विक्रय करें जिससे फसलों के उत्पादन लागत कम हो एवं उत्पादकता में वृद्धि हो जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सके। डा॰ नाथ कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार पन्द्रह दिनों तक निर्धारित समय सारणी के अनुसार भोला पासवान शास्त्री कृषि विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ में पूर्णियाँ, मधेपुरा, अररिया, कटिहार एवं किशनगंज के प्रक्षिणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया। किसानो एवं युवाओं के हित को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय में 16वें बैच हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था।
प्राचार्य डाॅ॰ पारस नाथ ने भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में चल रहे प्रशि़क्षण कार्यक्रम के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स में कुल 40 प्रतिभागियों में क्रमशः 03 प्रतिभागी पूर्णियाँ, 11 प्रतिभागी अररिया, 02 प्रतिभागी कटिहार, 06 प्रतिभागी किशनगंज एवं 19 प्रतिभागी मधेपुरा जिले के विभिन्न प्रखण्डों से सम्मिलित होकर प्रशिक्षण प्राप्त किये। यह प्रशिक्षण स्ववित्तपोषित है। 15 दिवसीय सर्टिफिकेट प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षणार्थी संबंधित जिला कृषि पदाधिकारी के माध्यम से आवेदन जमा करते है। महाविद्यालय द्वारा कृषि उपादान विक्रेता हेतु अब तक कुल 530 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्राचार्य डाॅ॰ पारस नाथ ने अपने सम्बोधन में प्रशिक्षण के सफल आयोजन हेतु आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई दी।
प्रमाण पत्र वितरण सह समापन समारोह के मुख्य अतिथि नरेद्र कुमार लोहानी सयुक्त निदेशक कृषि, पूर्णियाॅ प्रमंडल ने सरकार द्वारा स्वरोजगार हेतु चलाए जाने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे मे विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किये। चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान समय में उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग तथा जीवांश खादों की कमी से भूमि की उर्वराशक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही साथ मिट्टी के लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में भी कमी आ रही है। इससे पौधे की वृद्धि एवं विकास के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन में कमी आ रही है। इसीलिये सरकार द्वारा कृषि उपादान विक्रताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करने की व्यवस्था की गई क्योंकि पौधों में संतुलित पोषक तत्व का प्रबंधन किया जा सके। कहा कि यदि भविष्य के लिए हम सभी को स्वस्थ रहना है तो बिना जानकारी एवं मिट्टी जाँच के किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ एवं उर्वरक का प्रयोग मिट्टी में न करे l
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