- फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षा के लिए लोगों को दी गई जानकारी
- फाइलेरिया ग्रसित अंग पर साफ सफाई व महलम लगाने का मिला निर्देश
- एनटीडी को समाप्त करने के लिए सामुदायिक स्तर पर ग्रामीणों को जागरूक करने की जरूरत : सिविल सर्जन
पूर्णिया: विश्व में बहुत सी ऐसी बीमारियां है,जिसके संक्रमण से लोगों का जीवन तो सुरक्षित रहता है। परंतु संक्रमित व्यक्ति को पूरे जीवन ऐसे संक्रमण के साथ जीवनयापन करना होता है। ऐसे रोगों को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) की श्रेणी में रखा गया है। एनटीडी रोगों में 20 से भी अधिक बीमारियां शामिल हैं । इसमें मुख्य रूप से फाइलेरिया एवं कालाजार भी शामिल है। मंगलवार को जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस का आयोजन किया गया | वही जिले के पूर्णिया पूर्व एवं केनगर प्रखंड में पेशेंट नेटवर्क सदस्यों के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम में समुदाय को लीफलेट के माध्यम से फाइलेरिया व कालाजार से सुरक्षित रहने के विभिन्न उपायों की जानकारी दी गई।
फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षा के लिए लोगों को दी गई जानकारी
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आरपी मंडल ने कहा कि फाइलेरिया व कालाजार की बीमारी किसी भी सामान्य मनुष्य को हो सकता है। कालाजार संक्रमित होने पर लोगों को तुरंत सरकारी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। समय से कालाजार की जांच व इलाज के बाद लोग सुरक्षित हो सकते हैं। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया संक्रमण की जानकारी लोगों को 5-6 साल बाद मिलती है। एक बार फाइलेरिया संक्रमित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो सकता है। लोगों द्वारा आवश्यक व्यायाम व साफ सफाई करने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। सभी लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक रहना चाहिए जिससे वे संक्रमण से सुरक्षित रह सकें।
फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी :
पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य हाकिम ने लोगो को जागरूक करते हुए कहा कि फाइलेरिया बीमारी विशेष रूप से परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में मानसुनिया मच्छर भी कहा जाता । जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता तो उनके शरीर से फाइलेरिया विषाणु उठाकर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने पर उनके शरीर में डाल देता है। इससे फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
फाइलेरिया मरीजों के विशेष देखभाल के लिए जिले में चलाया जा रहा है पेशेंट सपोर्ट ग्रुप :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों का नियमित ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के तीन प्रखंडों (पूर्णिया पूर्व, कसबा और के.नगर) में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप चलाया जा रहा है। इसके द्वारा स्थानीय क्षेत्र के सभी फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की हर माह बैठक की जाती है। जिसके द्वारा उनके फाइलेरिया ग्रसित अंगों की जानकारी लेते हुए उन्हें आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके साथ ही पेशेंट सपोर्ट ग्रुप द्वारा सभी स्थानीय लोगों को भी फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए नियमित साफ सफाई, मच्छरदानी का उपयोग एवं हर साल सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेने के प्रति जागरूक किया जाता है।
सामान्य लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए एमडीए कार्यक्रम में भाग लेना जरूरी
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया की फाइलेरिया संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर घर जाकर 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को एल्बेंडाजोल, डीईसी व आइवेर्मेक्टिग की दवा खिलाई जाती है। इन दवाइयों के नियमित सेवन से लोग फाइलेरिया जैसी भयानक बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके साथ ही लोगों को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए और आसपास के क्षेत्रों में गंदे पानी को इकट्ठा होने से रोकना चाहिए।
फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए
• पैरों से सम्बंधित व्यायाम करें
• पैरों की पूरी तरह सफाई करें
• पैरों को हमेशा उठाकर रखें
• पूरा पैर को दिन में कम से कम चार बार सामान्य पानी से साफ करना चाहिए और उसपर क्रीम लगाना चाहिए।
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