- फाइलेरिया, कालाजार जैसे बीस तरह के रोग हैं एनटीडी संक्रमण में शामिल
- लाईलाज बीमारी है फाइलेरिया, सुरक्षा के लिए दवा सेवन आवश्यक
- जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से चलाया जाएगा एमडीए कार्यक्रम
कटिहार: वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ व परजीवी जैसे रोगजनकों से होने वाले रोगों को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज-एनटीडी) की श्रेणी में रखा गया है। ये बीमारी आमतौर पर गरीब लोगों को ज्यादा प्रभावित करते हैं लेकिन लोगों द्वारा अन्य गंभीर बीमारियों की तरह इनपर ध्यान नहीं दिया जाता है। एनटीडी अपने विकृत, दुर्बल करने वाले और कभी-कभी घातक प्रभाव के कारण जबरदस्त पीड़ा का स्रोत हैं। उन्हें “उपेक्षित” कहा जाता है क्योंकि वे दुनिया के अधिक विकसित हिस्सों में बड़े पैमाने पर मिटा दिए गए हैं लेकिन दुनिया के सबसे गरीब, सबसे हाशिए पर या अलग-थलग समुदायों में अभी भी बने हुए हैं। लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके। इसलिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 30 जनवरी को विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिले में इन बीमारियों के नियंत्रण, रोकथाम और ईलाज के लिए सदर अस्पताल स्थित जिला मलेरिया कार्यालय से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का संचालन किया जाता है जिससे कि कटिहार जिले में इन बीमारियों से ग्रसित लोगों को सुरक्षित रखते हुए अन्य लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके।
फाइलेरिया, कालाजार जैसे बीस तरह के रोग हैं एनटीडी संक्रमण में शामिल :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि आमलोगों के जीवन में प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाला रोग समूह को एनटीडी संक्रमण माना जाता है। एनटीडी में लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव), कालाजार, मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस (जे.ई.), चिकनगुनिया, लेप्रोसी (कुष्टरोग) जैसे बीस तरह रोग शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार दुनिया के हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है। लोगों में जागरूकता होने से इन बीमारियों का रोकथाम किया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर बीमारियों के उपचार के लिए अलग अलग कार्यक्रम चलाया जाता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को संबंधित बीमारियों की जानकारी देते हुए संक्रमित व्यक्ति का आवश्यक इलाज एवं सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। लोगों को इन बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए जागरूक होने की जरूरत है। इससे लोग संबंधित बीमारियों से ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।
लाईलाज बीमारी है फाइलेरिया, सुरक्षा के लिए दवा सेवन आवश्यक :
भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया कि एनटीडी संक्रमण में शामिल फाइलेरिया एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होने वाला रोग है। सामान्य व्यक्ति को पांच से दस साल बाद हाथ या पैर में होने वाले सूजन होने पर फाइलेरिया ग्रसित होने की जानकारी प्राप्त होती है। फाइलेरिया ग्रसित होने पर इसका सम्पूर्ण ईलाज संभव नहीं होता है। लोगों को इससे सुरक्षित रहने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है। इस दौरान लोगों को स्थानीय आशा या आंगनवाड़ी कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है। नियमित पाँच साल इसका सेवन करने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए सभी लोगों को इसका सेवन करते हुए खुद को फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रखना चाहिए।
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से चलाया जाएगा एमडीए कार्यक्रम :
भीबीडीसी जे. पी. महतो द्वारा बताया गया कि जिले के लोगों को फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। इस दौरान जिले के 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। ये दवाई गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों के अतिरिक्त अन्य सभी लोगों को खिलाया जाएगा। इसके सेवन से लोगों के शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु नष्ट हो जाएंगे और लोग फाइलेरिया से सुरक्षित रख सकते हैं। इसलिए सभी लोगों को आशा या आंगनबाड़ी कर्मियों के सामने ही इसका सेवन करते हुए खुद को फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखना चाहिए।
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