सहरसा, अजय कुमार: जिले के सलखुआ प्रखंड के बहुअरवा दुर्गा स्थान परिसर में चैत्र नवरात्र को लेकर कलश यात्रा के साथ आयोजित 9 दिवसीय रामकथा के छठे दिन मथुरा के चौमुहाँ वृंदावन से पधारे विवेक सागर जी महाराज ने सोमवार को कैकयी के दो वरदान व भगवान राम के वनवास काल का प्रसंग सुनाया। कथा सुनकर पंडाल में सेकड़ों की संख्या में मौजूद महिला पुरुष श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथावाचक व्यास विवेक सागर जी महाराज ने कथाओं में कहा कि जब भगवान राम के राजतिलक की तैयारी चल रही थी तभी मंथरा ने महारानी कैकई के कान भरते उसे महाराजा दशरथ से युद्ध के दौरान मिले दो वचन की याद दिलाया। कैकयी ने राजा दशरथ से जब वचन याद दिलाया तो खुशी में रानी से कहते है कि जो मांगो मैं दूंगा। तब कैकयी पहले राम की सौगंध खाने को कहती है तो राजा दशरथ कहते हैं रघुकुल का रीत है जान जाए पर वचन नहीं इसलिए तुम मांगो क्या मांगती हो। तो कैकयी ने राम को 14 वर्ष का वनवास व भरत को राजगद्दी पे बैठाने की बात कही। इतना सुनते ही राजा दशरथ बेहोश होकर गिर पड़े।
जब ये बातें श्रीराम को पता चली तो माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़े। रामकथा की शुरुआत आरती से हुई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। वहीं कथा के बीच बीच मे संगीतमयी भजन का दौर चलता रहा, इसको सुनकर श्रोता भक्ति के सागर में गोता लगाते दिखे। वहीं राम, लक्ष्मण और सीता की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई। कथा 22 मार्च से 30 मार्च को हवन के साथ सम्पन्न होगी व चैत्र नवरात्र का तीन दिवसीय मेला में कुश्ती से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम व नाटक का मंचन होगा। मौके पर महाराज के विवेक सागर दास जी महाराज के साथ उनके चेले पंडित विकाश कुमार झा उर्फ हरि बाबा, नरेश बाबा, नाल वादक सुधीर, देवघर से ऑर्गन पर पंकज, प्रीतम, मेला कमिटी के अरुण सिंह, उपेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ बुधन, रामप्रवेश सिंह, रमेश सिंह, पूर्व सरपंच लक्षेन्द्र सिंह, रजनीश कुमार, विकेंद्र सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग विधि व्यवस्था की देख रेख कर रहे थे।
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