कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों ने सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक कार्य हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ एवं सिंचाई अनुसंधान केन्द्र अररिया एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया का किया भ्रमण
पूर्णिया: डॉ डी० आर० सिंह, कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के निर्देश पर मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान विभाग, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ द्वारा चलाये जा रहे कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स हेतू प्रशिक्षण कार्यक्रम के 10वे दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के 95 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सह अधिष्ठाता-सह-प्राचार्य, डॉ0 पारस नाथ ने चल रहे सर्टिफिकेट कोर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षणर्थियों से फीडबैक लिया। तकनीकी सत्र में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्राचार्य डॉ० पारस नाथ ने अपने व्याख्यान में सबसे पहले प्रतिभागियों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के 95 वें स्थापना दिवस की शुभकामना देते हुए बताया कि आज के ही दिन वर्ष 1929 मे इम्पिरियल कृषि अनुसंधान परिषद् नई पूसा बिहार में हुई थी जिसका नाम स्वतंत्रता के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् कर दिया गया। आज भारत में सभी को खाद्यान उपलब्ध हो पा रहा है इसके लिए इस संस्थान का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होने प्राकृतिक खेती पर चर्चा करते हुए इस महत्वपूर्ण अवयव जैव उर्वरक के बारे में बताते हुए बताया कि यह एक प्रकार के सूक्ष्म जीवियों का प्रायोगिक मिश्रण है जो कि समुचित मात्रा एवं तकनीक से व्यवहार करने पर फसलों की उपज में 10 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकता है। जैव उर्वरक कभी भी कोई पोषक तत्व अपने अन्दर धारण नहीं किए होता, परन्तु उस पोषक तत्व की उपलब्धता को सुनिश्चत करने वाले जीवाणु को अवश्य धारण किए होता है। इसलिए जैव उर्वरक का उपयोग के द्वारा वांछित सूक्ष्म जीवियों को मृदा में प्रयोग कर मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाया जा सकता है।
वर्तमान समय में उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग तथा जीवांश खादों की कमी से भूमि की उर्वरा शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही साथ मिट्टी के लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में भी कमी आ रही है। इससे पौधे की वृद्धि एवं विकास के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन में कमी आ रही है। इसीलिये सरकार द्वारा कृषि उपादान विक्रताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करने की व्यवस्था की गई क्योंकि पौधों में संतुलित पोषक तत्व का प्रबंधन किया जा सके। तकनीकी सत्र में सह अधिष्ठाता-सह-प्राचार्य, डॉ0 पारस नाथ के निर्देश पर सभी 40 प्रतिभागियों को सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक कार्य हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ एवं सिंचाई अनुसंधान केन्द्र अररिया एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया का भ्रमण कराया गया। भ्रमण के द्वारान कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया द्वारा आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के स्थापना दिवस समारोह में भी सभी प्रतिभागियो की सहभागिता रही। तकनीकी सत्र में सबसे पहले सिंचाई अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया के प्रभारी ने फल वाली फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन पर जानकारी प्रदान की। इसके बाद सिंचाई अनुसंधान केन्द्र अररिया के मृदा वैज्ञानिक डा० अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को उर्वरकों में मिलावट की पहचान के बारे में तथा मिलावट के तत्वों पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि में उर्वरकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत केवल चीन के बाद दुनिया में उर्वरकों का प्रयोग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। किसान सबसे ज्यादा उर्वरको में यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके एसएसपी, जिंक सल्फेट, कॉपर सल्फेट आदि का प्रयोग प्रमुख रुप से करता हैं। एक उर्वरक को मिलावटी तभी माना जाएगा, यदि इसमें कोई पोषक तत्वों को खत्म करने या घटाने की संभावना है या उर्वरक ‘‘निर्धारित मानक‘‘ के अनुरूप नहीं है। सैद्धांतिक व्याख्यान के बाद मृदा वैज्ञानिक डा० कुमार द्वारा कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभागियों को मिट्टी के नमूनों से प्रमुख अवयव जैसे पी० एच०, ई० सी०, कार्बनिक पदार्थ का प्रयोगशाला में जाँच कराकर प्रायोगिक कार्य कराया। विषय वस्तु विशेषज्ञ पौधो रोग डॉ0 संजीत द्वारा प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केन्द्र अररिया के विभिन्न इकाईयों का भ्रमण करा कर तकनीकि जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ एवं सिंचाई अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण कराया गया। द्वितीय तकनीकी सत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ एवं सिंचाई अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण कराया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ के प्रभारी ने फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। कृषि विज्ञान केन्द्र पूर्णियाँ के अन्य वैज्ञानिक डॉ० गोविन्द कुमार द्वारा प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार की कृषि से संबन्धित तकनीकी जानकारी प्रदान की गई, जिसमें प्रमुख रूप से सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक कार्य के अन्तर्गत एजोला उत्पादन ईकाई, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन इकाई, पोषण वाटिका, मसाला पार्क, नव ग्रह वाटिका के साथ साथ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला आदि का भ्रमण कराकर विस्तार पूर्वक सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी प्रदान की गई, जो प्रतिभागियों के लिए काफी लाभकारी रहा। प्रतिभागियों के साथ कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी-सह-समन्वयक डा0 पंकज कुमार यादव, डा० अनिल कुमार, डा० जी० एल० चौधरी भी गये। कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए 15 दिवसीय प्रशिक्षण हेतु राजा कुमार, सितेश कुमार यादव, मो0 सनोवर आलम, नितेश कुमार, अखिलेश कुमार मंड़ल, शंकर सचिन, दीपक कुमार, कुणाल मौर्य, तौसिफ अहमद, शाहजाद आलम, बीरबल कुमार यादव, मो0 सउद अंसारी, मो0 कैसर आलम, मो0 तौसिफ, अखिलेश प्रसाद, राहुल कुमार, नितीश कुमार गुप्ता, करिश्मा कुमारी, आशीष कुमार, टोनू कुमार, रंजीत कुमार, मो0 वाजिद, सौरभ कुमार, प्रिंस कुमार उज्जवल, कृष्ण कुमार, मो0 मोहतसिम, मो0 मजहर आलम, सुजित कुमार बिराजी, मो0 साजीर, निलेश कुमार, सुनिता कुमारी, अंकित कुमार, मो0 शाद अकरम, आसीफ अहमद, प्रशांत कुमार, मोसरत आलम, अभिषेक कुमार सानू, मणिकांत, आनंद आदि सक्रिय रूप से भाग लेकर विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त की। इस कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन नोडल पदाधिकारी डा० पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया।
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