पूर्णिया अभय कुमार सिंह : प्रखंड का डुमरी घाट जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र के साथ-साथ आपराधिक इतिहास का केंद्र-बिंदु रहा है तथा यह टीकापटी एवं मोहनपुर ओपी को सीधा जोडता है, आज इस पर पुल नहीं रहने से यहां की पचास हजार आबादी विकास से कोसो दूर है । अकेले नदी किनारे बसा गांव डुमरी की लगभग दस हजार आबादी की खेती की जमीन इस नदी के उसपार मोहनपुर ओपी क्षेत्र में है, जिससे इसका खामियाजा बरसात शुरू होते ही किसानों को भुगतना पडता है ।
दशकों से लोगों के दिलों में इस घाट पर पुल बनाने की मांगें हमेशा ही उठती रही है, परंतु यहां के लोगों की मांगें, हमेशा ही माननीयों द्वारा किये गए वादों में कहीं-न-कहीं गुम हो जाती रही है । हमेशा ही इस क्षेत्र में आनेवाले लोकसभा या विधानसभा प्रत्याषी लोगों से वादा तो करते हैं, परंतु जीत या हार के बाद ही वे इस क्षेत्र से नाता तोड लेते हैं तथा इन्हें इनकी नियती पर छोड देते हैं । अक्टूबर 2023 में सांसद संतोश कुमार कुशवाहा मोहनपुर में क्रिकेट टूर्नामेंट के समापन समारोह में आए थे तथा उन्होंने सभी के सामने वादा किया था कि डुमरी घाट का पुल कुछ ही दिनों में बनना आरंभ हो जाएगा, परंतु आज पांच माह बीतने चले हैं, उनकी भी बातें झूठी साबित होने लगी है । कुछ इसी को लेकर इस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के मिजाज आक्रोश से भरे हुए हैं तथा वे एक स्वर से कह रहे हैं कि आजादी के 77 साल बाद भी यहां की दशा यथावत है, इसलिए वे 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याषियों के निशान के बदले नोटा पर अपना बटन दबाएंगे ।
पैक्स अध्यक्ष कैलाश भारती-
डुमरी गांव किसानों का गांव है तथा उनकी जमीन नदी के पार है । उनकी एक फसलीय खेती रबी होती है, जिसकी जुताई हो या फिर तैयारी, उसके लिए उन्हें नाकों चने चबाने को मजबूर हो जाना पडता है । बरसात शुरू होते ही उनकी कठिनाईयां शुरू हो जाती हैं । इसके लिए ट्रेक्टर को चालीस किलोमीटर दूर से घुमाकर उसपार ले जाना पडता है तथा फसल को भी वैसे ही लाना पडता है । वे लोग काफी मुसीबत में हैं ।
डुमरी गांव के सखीचंद मंडल-
70 सालों के दौरान यहां दर्जनों एमपी एवं विधायक बने, परंतु यहां के दर्द को किसी ने भी गंभीरता से नहीं समझा, जिसका खामियाजा यहां के लोगों को सदियों से उठानी पड रही है । इस नदी पर पुल बन जाता है, तब यह क्षेत्र विकास तो करेगा ही, साथ ही इसका सीधा जुडाव मोहनपुर ओपी से भी हो जाएगा ।
पंचायत की पूर्व मुखिया सुनीता देवी-
यह नदी इस क्षेत्र में विकास को पूरी तरह से रोक रखा है । खेती करने के लिए उप पार महज एक सौ मीटर के लिए ट्रेक्टर को चालीस किलोमीटर दूर डोभा घाट होकर ले जाना पडता है। वे लोग बहुत बर्दास्त कर चूके हैं, अब वे इसका जवाब नेताओं को नोटा दबाकर देंगे । वह लगातार दस वर्षो तक मुखिया रही हैं, लगातार सभी माननीयों से पुल बनाने की गुहार लगाती रही हैं, परंतु किसी ने नहीं सुनी है । इससे बडा दुख इस क्षेत्र के लिए और क्या हो सकता है ।
सामाजिक कार्यकर्त्ता मयंक कुमार-
पचास हजार की आबादी डुमरी घाट पर पुल नहीं रहने से परेशान है । हरदिन यहां के लोग पुल के अभाव में परेशानी से गुजरते हैं । चचरी पुल बस कुछ महीनों तक ही रहता है, जून से दिसंबर तक यह भी पुल समाप्त हो जाता है । लोग नरक की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं ।
साधुपुर के अनुज कुमार-
डुमरी बाजार उनके लिए महत्वपूर्ण बाजार है, एक सूई तक की खरीददारी वहीं से होती है, क्योंकि इस दियारा क्षेत्रमें ना तो कोई बाजार है और ना ही कोई दुकान । पुल की कमी के कारण आवागमन तो बाधित करता ही है, परंतु वह उनकी शिक्षा को भी निगल जाता है । पूरे बरसात बच्चे घरों में कैद होकर रह जाते हैं ।
डुमरी गांव के कारेलाल मंडल-
यहां हमेशा ही जब चुनाव होता है, तब जीते एवं हारे हुए सभी प्रत्याषी आते हैं तथा हमेशा ही इस नदी पर पुल बनाने का वादा करते हैं, परंतु हर बार वे ठग कर चले जाते हैं ।
साधुपुर गांव के राजकुमार शर्मा-
इस दियारा क्षेत्र से तो लगता है कि लक्ष्मी एवं सरस्वती दोनों सदा के लिए रूठ गई हैं । सदियों से यहां के लोग शिक्षा एवं विकास के लिए तरस रहे हैं, इसके पीछे मुख्य कारण है कि यहां इस नदी पर पुल नहीं है । सबकुछ भगवान एवं प्रकृति के भरोसे है ।
डुमरी गांव के ब्रजेश कुमार-
अब तो लगता ही नहीं है कि चुनाव के लिए जनता के सेवक आते हैं या फिर लॉटरी के तहत अपना भाग्य चमकाने । यहां नेता आते हैं तथा बस वादाकर लोगों की सहानुभूति लूटकर चले जाते हैं । जनता ठगी-सी रह जाती है ।
कुल मिलाकर मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर डुमरी घाट पर पुल का नहीं बनना यहां चुनावी मुदा बनने वाला है । हरकोई के आंखों में गुस्सा दिख रहा है, कोई कहता है कि नोटा दबाएंगे तो कोई कहता है, नेता को सबक सिखाएंगे । देखें इसबार नेता सदियों से पीडित इस क्षेत्र के लोगों के दर्द पर एकबार फिर वादों का मरहम लगाकर चले जाएंगे या फिर वे वास्तव में कुछ करते हैं ।
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