पूर्णिया/रूपौली/अभय कुमार सिंह : एक फिल्मी गाना है जिधर जाइएगा, उधर पाइएगा, यह गाना किसानों के फसल से संबंधित सभी उत्पादों पर सटीक बैठता है । चाहे वह बीज हो, उर्वरक हो या फिर कीटनाशक दवाएं, बाजार नकली उत्पादों से भरा पड़ा है, कौन असली है, कौन नकली है, आजतक किसान समझ नहीं पाए ।
दुकानदार किसानों को एक नकली एवं एक असली उत्पाद थमाकर अपना हित साध लेते हैं । उर्वरक दुकान मालिक ही कृषि वैज्ञानिक बन जाते हैं तथा सबसे ज्यादा कमीशन मिलनेवाले उत्पाद या नकली उत्पाद को ही किसानों को सजेष्ट करते हैं । इतना ही नहीं नकली खाद-बीज के साथ अगर किसानों को एक दो पैकेट उर्वरक लेना होता है, तब उन्हें एक असली एवं एक नकली थमा दिया जाता है, किसान समझ नहीं आता है कि यह असली है या नगली । कुछ इसी का कारण है कि यहां से नगदी एवं किसानों को अमीर बनानेवाली केला फसल बिदा ले ली है ।
अब मक्का सहित अन्य फसलों की बारी है, जो धीरे-धीरे खत्म होती चली जा रही हैं । इसका उदाहरण दियाारा क्षेत्र के सैकडो एकड़ में लगी मक्के ही नहीं, बल्कि सब्जी वर्गीय की फसलों में भी पनामा बिल्ट रोग लगने की बात सामने आ चूकी है । किसानों को सही एवं आरिजनल उत्पादों की पहरेदारी पर बिठाए गए कृषि विभाग कभी भी सामने आकर मदद नहीं की, बल्कि शिकायत करने पर भी बस कोरम पूरा करके बात खत्म कर दी जाती है ।
आजतक कभी भी ऐसा सन्देश नहीं गया, जिससे यह बात साबित हो सके कि कार्रवाई से गलत करनेवाले डरते हैं । प्रखंड में सैकडो की संख्या में वैध-अवैध उर्वरक एवं कीटनाशक दवाओं की दुकानें हैं, उनके बोर्ड पर स्टाॅक संख्या नहीं देखी जा सकती है । किसानों को पता भी नहीं चल पाता है कि किस उर्वरक या कीटनाशक दवाओं की संख्या एवं कीमत क्या है ।
इस कार्य को देखने के लिए किसान सलाहकारों सहित अन्य कर्मियों की ड्यूटी बनती है, परंतु वे दुकानों की जांच क्या करेंगे, वे तो हमेशा ही गायब ही दिखते हैं । किसी भी किसान सलाहकार को यह पता नहीं होता कि कौन किसान कौन-सी फसल लगा रहे हैं । अभी खरीफ फसल लगाने का समय है, नकली धान के बीजों से समूचा मार्केट भरा पड़ा है, किसानों को पता नहीं चल पाता है कि असली कौन है, नकली कौन है ।
दुकानदार बस पैकेट दिखाकर उत्पाद बेच देते हैं, किसान ठगे रह जाते हैं । इतना ही नहीं इन दुकानदारों द्वारा सामान तो बेचे जाते हैं, परंतु उन्हें कोई रसीद नहीं दी जाती है । गांव के किसानों को गांवों में खुली दुकानों के दुकानदार सबसे ज्यादा लूट रहे हैं । उधार के नाम पर उन्हें नकली उत्पाद बेचना आम बात हो गई है । कीमत की बात जैसे ही किसान करते हैं, दुकानदार उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देते हैं ।
पिछले सप्ताह शुक्रवार यानि 7 जून को व्यवसायिक मंडी बिरौली बाजार में पकड़े गए करोड़ों के सिर्फ कृषि ही नहीं, बल्कि अन्य कंपनियों के नकली उत्पाद मिले हैं, यह साबित करने के लिए काफी है । इस मामले में अभी तक पुलिस के हाथ मकान मालिक मो शकील आलम के गिरेबान तक नहीं पहुंच पाया है । देखें इस करोड़ों के नकली उत्पाद बनानेवाले लोगों तक कानून का हाथ कबतक पहुंचता है, या फिर इसी तरह किसानों को लूटने का खेल चलता रहता है ।
सभी दुकानों का औचक निरीक्षण किया जाएगा तथा हर कृषि उत्पाद का सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा । किसानों को धोखा देनेवाले किसी भी दुकानदार को छोड़ा नहीं जाएगा, साथही नकली उत्पाद तैयार करनेवाले पर भी नजर रखी जा रही है ।
राघव प्रसाद, कृषि पदाधिकारी, प्रखंड, रूपौली ।