पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: टीकापटी बाजार सैरात की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकॉर्ट के आदेश पर, प्रशासन द्वारा बुधवार को अतिक्रमणकारियों के घरों पर, जिस प्रकार बुलडोजर चला, इससे कई तरह के सवालिया निषान खडे हो रहे हैं ।
प्रशासन के इस कार्रवायी से जहां एकओर बुलडोजर की आवाज में भूमिहीनों की आवाज एवं चित्कार गुम होकर रह गईं, वहीं सरकार के उस आदेश को भी ठेंगा दिखता दिखा, जहां सरकार ने इन्हीं प्रशासनिक पदाधिकारियों को यह भी आदेश दिया है कि वे भूमिहीनों को सरकारी जमीन देखकर बसाएं।
आखिर उजडने के बाद भूमिहीन कहां जाएंगे, कैसे रहेंगे, इस बारे में किसी भी व्यक्ति ने समझना उचित नहीं समझा है । इस संबंध में पिछले 36 घंटों से अपने 20 दिनों के नवजात के साथ-साथ अन्य दुधमुंहें बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे, उसी तोडे गए मकान के ईंटों के टूकडों पर रहने को मजबूर हो गए सिंटू पोदार रोते हुए कहते हैं कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर वे जाएं, तो कहां जाएं ।
वेलोग पिछले तीन पीढियों से इस जमीन पर अपना एक-एक पाई जोडकर इस आषियाना को बनाया था । उनकी बस इतनी गलती थी कि उन्होंने इस जमीन की रजिश्ट्री टीकापटी चांदपुरटोला निवासी दयानाथ मंडल, पिता वृजलाल मंडल से दो भूखंडो की 27.4.1956 में करवाई थी । इसका खाता 490 खेसरा 2339 एवं रकवा 4.200 वर्गकडी है, दूसरे का खेसरा 4637, रकवा 4.200 र्व कडी है ।
बस इतनी गलती हुई कि उनके पूर्वजों ने इसका नामांतरण नहीं करवाया था तथा यह जमीन फिर से सिलिंग में वापस चली गई थी । जिसे प्रशासन अब सैरात की जमीन कहीं जारही है । यह जमीन उनके पूर्वजों द्वारा खरीदी गई है, परंतु उनकी बात को सुननेवाला कोई नहीं है ।
कई वर्षों से प्रखंड से लेकर जिला तक अपनी बात सुनवाने के लिए गुहार लगाते रहे, परंतु किसी के कानों में इनके लिए कोई रहम तक नहीं आया । प्रशासन का बस यही जवाब उन्हें मिलता रहा कि जिस प्रकार अतिक्रमण हटाने का आदेश आया, वे हाईकॉर्ट में अपना पक्ष रखते हुए, इसपर रोक का आदेश लाए होते, तो निश्चित ही यह कार्रवाई रूक जाती ।
आखिर जो इंसान अपने परिवार का पेट भरने के लिए दिन-रात एक करता हो, उस व्यक्ति के पास कहां से इतना पैसा या समय आता कि वह हाईकॉर्ट के चक्कर लगाता । कानून तो हमेशा ही गरीबों पर ही लागू होता आया है । कुल मिलाकर प्रशासन भले ही यह काम हाईकॉर्ट के आदेश पर कर रहा है, परंतु इस कार्रवाई ने इतना तो अवश्य स्पष्ट कर दिया है कि भूमिहीनों के लिए आजतक अंचल कार्यालय एक कदम भी नहीं बढ पाया है । देखें यह भूमिहीन परिवार कबतक खुले आसामन में अपना जीवन बीताते हैं तथा सबकुछ लूट जाने पर अपना पेट किस प्रकार भर पाते हैं ।
वह अभी-अभी सीओ के पद पर योगदान दी हैं । हाईकॉर्ट के आदेश पर घर तोडा गया है । वे लोग भूमिहीन हैं, इसके लिए उन्हें आवेदन देने को कहा या है । उन्हें जमीन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा ।
शिवानी सुरभि, अंचलाधिकारी, रूपौली अंचल
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