सहरसा, अजय कुमार: गायत्री शक्तिपीठ में नवरात्रि के नवम दिन गुरुवार को अनुष्ठापन के समापन के क्रम में डॉक्टर अरूण कुमार जायसवाल ने कहा आज आदि शक्ति के नवम रूप सिद्धिदात्री का पूजन है। सिद्धि अर्थात मोक्ष देनेवाली होने के कारण इनका नाम सिद्धिदात्री है। नव दुर्गा के नवमें रूप के ध्यान के क्रम में कहा इस पावन स्वरूप में जब भगवती हमारे जीवन में प्रवेश करती है तव साधना अपने सम्पूर्णता में प्राप्त होती है और साधक कैवल्य ज्ञान को प्राप्त करती है, यानी मोक्ष का अधिकारी होता है। यही भगवती के नौ रूपों की आध्यात्मिकता है। उन्होने कहा आज सिद्धि चक्र सर्वोच्च स्थान में उर्जा का गमन होगा यानी पूर्णता को प्राप्त करेगा। अगर हमारी साधना पूरे भाव के साथ व्यवस्थित रूप से चली हो तो निश्चित रूपेण सर्व सुख सिद्धि की प्राप्ति होगी। मोक्ष की प्राप्ति होगी। कामना का भावना में परिवर्तन होगा और जीवन पूर्णता को प्राप्त करेगा।
आज ध्यान के क्रम में सहस्रार चक्र पर ध्यान किया गया। समापन के क्रम में कहा आज रामनवमी भी है। गोस्वामी तुलसीदास, रामचरितमानस की रचना का शुभारंभ आज के ही दिन किए थे। इसलिए रामचरितमानस का भी जन्म दिन है। रामचरितमानस दो साल छः महिने और कुछ दिन में पूरा हुआ था और राम सीता के विवाह के दिन पूर्ण हुआ था। नौ दिनों से चली आ रही नवरात्र में 24 हजार गायत्री मंत्र जाप का अनुष्ठान हवन करते हुए पूर्णाहुति किए तथा अमॄतासन प्रसाद ग्रहण करते हुए व्रत का समापन किए। उधर नौ दिनों तक संध्याकालीन भजन, कीर्तन तथा रामचरितमानस के अनुसार नंदीग्राम मे भारत के राम के प्रति भक्तिभाव पर विशेष चर्चा हुई।अनुष्ठान को सुचारू रूप से सफल बनाने में शक्तिपीठ की देव कन्या, महिला मंडल,युवामंडल तथा प्रज्ञा मंडल सभी लगे रहे।
![24 हजार गायत्री मंत्र जाप का अनुष्ठान, पूर्णाहुति तथा अमॄतासन प्रसाद ग्रहण करते हुए व्रत का हुआ समापन Ritual of chanting 24 thousand Gayatri mantras, completion of fast by taking Purnahuti and Amritasan Prasad](http://angindianews.com/wp-content/uploads/2023/03/IMG-20230330-WA0008-1024x576.jpg)
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