पूर्णिया : डॉ राजीव कुमार सिंह वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान कृषि विज्ञान केन्द्र किशनगंज द्वारा उपस्थित वैज्ञानिकों एवं किसानों को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा किसानों के हित में किये जा रहे कार्यों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की।
डा॰ पारस नाथ ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि महाविद्यालय पूर्णिया बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के निर्देशन में वैश्विक स्तर पर मखाना के उत्पादन एवं प्रसंस्करण के लिए बिहार की पहचान बनाने के लिए कार्य कर रहा है।
इसी कड़ी में मखाना को जी० आई० टैगिंग मिथिला मखाना के रूप में प्राप्त हुआ है, यह बिहार के लिए बड़ी उपलब्धि है। इसलिए आप सभी को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना है तो मखाना का ऑथोराइज्ड उपयोगकर्ता बनने हेतु जल्द से जल्द अपना पंजीकरण कराएं।
उन्होंने कहा कि आज यहाँ इस मखाना के राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के सात राज्यों के वैज्ञानिकों, उद्यमियों, प्रसार कार्यकर्ता उपस्थित हैं। आज आप सभी यहाँ किसानों की समस्याओं से अवगत हो रहे हैं, आनेवाले समय में जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से अध्ययन कर अनुसंधान परियोजना पर कार्य करें, तभी जाकर किसानों का उत्थान संभव हो पाएगा।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों द्वारा मखाना उत्पादक किसानों को सम्मानित किया गया जिसमें पमुख रूप से क्षमेश्वर मंडल, मो० कमरूल जमा आदि रहे। इस कार्यक्रम में शीतल नगर के कुल सौ से अधिक महिला एवं पुरूष किसानों की सक्रिय सहभागिता रही।
इस अवसर पर निम्नलिखित की सक्रिय सहभागिता रही जिसमें डा॰ आर॰ एन॰ दत्ता, डा॰ विनोद कुमार गुप्ता, डा॰ पंकज कुमार यादव, डॉ॰ एन के शर्मा के अलावा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों के वैज्ञानिकों में वीर कुवंर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरॉव, बक्सर से प्रियंका कुमारी, डा॰ मथिलेश कुमार, कमल कान्त, गौतम कुनाल कृषि महाविद्यालय, सहरसा डा॰ पंकज कुमार, डा॰ अबु नय्यर, डा॰ मुन्ना यादव, डा॰ अवधेश कुमार, डा॰ उषा कुमारी, डा॰ कुमारी रेखा, डा॰ प्रीति सुन्दरम, डा॰ अश्वनी चौधरी, डा॰ स्नेहा कुमारी, कृषि अनुसंधान संस्थान पटना से डा॰ रणवीर कुमार, डा॰ एन. वाई. आजमी, डा॰ संगीता कुमारी, सिंचाई अनुसंधान केन्द्र विक्रमगंज से डा॰ बिरेन्द्र सिंह, डा॰ उमा कांत सिंह के साथ साथ शोध छात्रों के अलावे मखाना के उद्योग से जुड़े विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।