पटना, नीतीश कुमार सिंह: राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा की एक कविता ने बिहार की राजनीति में ऐसा उबाल ला दिया है कि राष्ट्रीय सुर्खियां बन गई है। इस मुद्दे पर राज्य में ब्राह्मण बनाम ठाकुर विवाद की राजनीति परवान चढ़ रही है। राजद सांसद पर ठाकुरों को लेकर की गई टिप्पणी पर विभिन्न दलों (विशेषकर भाजपा-जदयू) के राजपूत नेता एक होते दिख रहे हैं, तो सबसे पहला फ्रंट खोलने वाला पूर्व सांसद आनंद मोहन का पूरा परिवार ठाकुर अस्मिता का सवाल लेकर खड़ा हो गया है। इसी क्रम में आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने पहले मनोज झा को अपने निशाने पर लिया तो अब आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद सिंह ने राज्यसभा सांसद मनोज झा को जवाब दिया है। पूर्व सांसद आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद ने कहा है कि आपने संसद में अपने अंदर के ‘ठाकुर’ को मारने की बात की थी ना, अब हमारी भी सुनिए- ठाकुर होना आसान नहीं होता। इसको लेकर सुरभि आनंद ने एक कविता भी मनोज झा को टैग करते हुए पोस्ट की है। सुरभि आनंद ने ट्वीट करते हुए कहा कि आपने संसद में अपने अंदर के ‘ठाकुर’ को मारने कि बात की थी ना, अब हमारी भी सुनिए।
ठाकुर होना आसान नहीं होता!
“कभी कासिम तो कभी गजनी से भिड़ा ठाकुर!
हार तो तय थी… पर लड़ा ठाकुर!
हारना ही था उसे, वो अकेला लड़ा था,
क्या जन्मभूमि ये तुम्हारी नहीं थी?
फिर क्यों अकेला लड़ा ठाकुर?
बीवी सती हुई, बच्चे अनाथ!!
हिन्दू तो बचा पर, भरी जवानी में
मरा ठाकुर!
सदियों से रक्त दे माटी को सींचा,
जन जन्मभूमि और धर्म की वेदी पर
मिटा ठाकुर!
जिनके लिए सब कुछ खोया,
क्यों उनकी ही नजरों में बुरा? फिल्मों का ठाकुर!
कहानियों-किस्सों का ठाकुर!
कविताओं का ठाकुर!
जब दुबक बैठे थे घरों में सब तमाशबीन,
तब पीढियां युद्धभूमि में बलिदान कर रहा था ठाकुर,
आज बुद्धिजीवी पानी पी पीकर बरगलाते और कोसते कि आखिर कौन है ये ठाकुर..?
कौन बताए उन्हें कि कफन केशरिया करके,
मूंछों पर ताव देकर मौत को गले लगाने वाला जांबाज ही था ठाकुर।”
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