इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे शुक्रवार (4 अगस्त, 2023) से शुरू हो गया। आर्कियोलॉजिल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर पर किया गया। वाराणसी जिला अदालत के जज अजय कृष्ण विश्वेश ने 21 जुलाई से परिसर के एएसआई सर्वे को इजाजत दी थी और 4 अगस्त को सर्वे की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। पत्रकार खबर एशिया के अनुसार जिस दिन सर्वे शुरू होना था, उसी दिन मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया कमेटी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। कोर्ट ने 26 जुलाई तक के लिए सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी और मुस्लिम पक्ष से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने को कहा। 27 जुलाई को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
3 अगस्त को जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर की पीठ ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और जिला अदालत के फैसले को न्याय संगत एवं सही बताते हुए सर्वे को मंजूरी दे दी। उधर, हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए मुस्लिम पक्ष ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। साल 2021 में लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू, रेखा पाठक और राखी सिंह ने श्रंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की रोजाना पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए अनुमति मांगी थी. उन्होंने यह भी कहा कि विवादित ज्ञानवापी क्षेत्र में मौजूद मूर्तियों के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए और मुस्लिम पक्ष को मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी और उसके आसपास के हिस्से की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था। इसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया, जिसके बाद सर्वे बीच में ही रुक गया।
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