पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सामाजिक न्याय के प्रणेता मानेजानेवाले जननायक स्व कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती काफी धूमधाम एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राजनीतिक, गैर राजनीतिक संस्थानों सहित विद्यालयों में भी उनकी जयंती मनाई गई। सबसे ज्यादा लोगों को 26 जनवरी को उनके मरणोपरांत भारत रत्न दिये जाने से काफी खुशियां व्याप्त है। इसी के तहत जंगलटोला प्लसटू विद्यालय में उनकी जयंती को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर उनकी जयंती समारोह का शुभारंभ उनके तैलचित्र पर फूलमाला चढाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रधानाध्यापक पवन कुमार जायसवाल ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए तथा उन्हें 36 वर्षो बाद भारत रत्न दिये जाने पर काफी खुशियां व्यक्त करते हुए कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर वास्तव में जननायक थे, गरीबों के उत्थान के लिए हमेशा ही प्रयत्नशील रहे तथा उनकी लडाई लगातार लडते रहे। उनका जन्म 24 जनवरी 1924 में समस्तीपुर के पिताउंझीया गांव में हुआ था, यह गांव अब कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर एवं माता का नाम रामदुलारी देवी था।
वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी एवं सत्यनारायण सिंहा से जूडे। आजादी के बाद वे अपने गांव में शिक्षक की नौकरी किये तथा अपनी लोकप्रियता के कारण वे अपने ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी से 1952 में पहलीबार विधानसभा से चुने गए। वे वर्ष 1970 के दिसंबर से वर्ष 1971 के जून माह तक बिहार में प्रथम बार मुख्यमंत्री बने, फिर वे जनता पार्टी के शासनकाल में दूसरी बार जून 1977 से अप्रील 1979 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हो गया। वे जबतक जिंदा रहे, हमेशा ही गरीबों की लडाई लडते रहे। उन्हें इसबार के गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुरमुर द्वारा भारत रत्न दिया जाएगा, जो बिहार के लिए एक मिशाल होगा। सच कहा जाए तो यह भारत रत्न उनके जीवनकाल में ही मिल जाना चाहिए था। इस अवसर पर शिक्षिका राजन कुमारी, दिव्य स्मिता, स्मिता कुमारी, राममोहन ठाकुर, मुरारी कुमार, मो0 हसनैन सहित सैकडो की संख्या में ग्रामीण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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