- आज भी धूप, बारिश एवं ठंड में खुले मैदान में पढने को मजबूर
- हाल टीकापट्टी स्थित बुनियादी विद्यालय का
- महात्मागांधी की परिकल्पना को साकार करने आए थे मुख्यमंत्री, इस विद्यालय की बुनियाद भी महात्मागांधी की परिकल्पना के आधार पर ही है
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: 15 नवंबर 2019 को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टीकापट्टी गांधी सदन परिसर के बगल में बुनियादी विद्यालय की बदसूरत तस्वीर स्वयं देखी थी तथा उन्होंने आश्वाशन दिया था कि गांधी सदन के साथ-साथ इस विद्यालय की तस्वीर भी बदली जाएगी, परंतु दूर्भाग्य कि आज चार साल बीतने को हैं, परंतु इस विद्यालय की तस्वीर आजतक नहीं बदल पाई है। आज भी बच्चे धूप, बारिश एवं ठंड में खुले आसमान के नीचे पढने को मजबूर हैं। यह बता दें कि बुनियादी विद्यालय की स्थापना महात्मागांधी के सपने को साकार करने को लेकर ही देश की आजादी के बाद सन 1949 को इस प्रखंड में तीन बुनियादी विद्यालयों बुनियादी विद्यालय, टीकापट्टी, बुनियादी विद्यालय, मालपुर एवं बुनियादी विद्यालय, कंकला की स्थापना की गई थी। महात्मा गांधी की सोच थी कि बुनियादी विद्यालय में बच्चे सिर्फ सैद्धांतिक पढाई ही नहीं पढें, बल्कि वे स्वरोजगार के लिए भी आगे बढें। वे बचपन से ही पढाई के साथ-साथ अपनी रूचि के अनुसार ढल पाएं। आज विद्यालय की दुर्दशा देखकर ऐसा लगता है कि अब इसमें किसी की रूचि ही नहीं रह गई है। 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांधी सदन के उद्धार को लेकर यहां पहूंचे थे तथा इस परिसर से लगे स्थित बुनियादी विद्यालय की दुर्दशा भी देखी थी। उनके साथ आए तत्कालीन प्रधान सचिव ने भी इसका मुख्यमंत्री के आने से पहले ही इस परिसर में ठहरे थे तथा उन्होंने भी इसका मुआयना किया था।
मुखिया शांति देवी, जयनारायण कौशिक, जैनेंद्र कुमार, शिक्षाविद मोहिचंद केशरी आदि सहित यहां के ग्रामीणों की इस विद्यालय में भवन के अभाव में हो रही कठिनाईयों से उन्हें अवगत कराया था। तब उनके द्वारा आश्वासन दिया गया था कि वे पटना जाकर इसके विकास से संबंधित अग्रेतर कार्रवायी करेंगे। परंतु दूर्भाग्य कि आज चार साल बीतने को हैं, परंतु आज भी इस विद्यालय की दुर्दशा जस-की-तस है। लोग कहने लगे हैं कि जब मुख्यमंत्री, प्रधानसचिव जैसे लोग अपने ही आश्वासन के प्रति गंभीर नहीं हैं, तब फिर अन्य की क्या विसात हो सकती है। इधर प्रभारी प्रधानाध्यापक शंकु कुमार बताते हैं कि वे लोग किस प्रकार भवन की समस्या से जूझ रहे हैं, वे ही जानते हैं। इस विद्यालय में 663 बच्चे नामांकित हैं, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति प्रतिदिन होती रहती है। यहां आठवीं कक्षा तक की पढाई होती है, कक्षा के नाम पर मात्र चार हैं। शौचालय भी मात्र दो हैं। समझा जा सकता है कि चार कक्षाओं के बच्चे कैसी स्थिति में पढते होंगे। बिना कक्षा के बच्चे धूप, बारिश एवं ठंड में खुले आसमान के नीचे पढने को मजबूर हैं। जैसे ही बारिश आती है, बच्चे सहित उनके कपडे, किताबें भींग जाती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह अपने वादे को निभाए, ताकि यहां के बच्चों को समुचित शिक्षा मिल सके तथा बापू के सपनों को भी पंख लग सके।
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