पूर्णिया : दिनांक 26 जून 2024 को पूर्व वार्ड पार्षद भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष सरिता राय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नगर निगम पूर्णिया के वर्तमान कार्यकाल को अनिश्चितताओं से भरा काल बताते हुए आरोप लगाया कि नगर निगम पूर्णिया का वर्तमान बोर्ड पर अपने कर्तव्य पथ से हटकर दाव और दबाव की राजनीति करने का आरोप लगाया है। नगर निगम पूर्णिया के वर्तमान काल में बोर्ड के मा. महापौर एवं मा. उपमहापौर सभी अपने अपने पक्ष में दाव और दबाव की राजनीति कर रहे हैं।
श्रीमान नगर आयुक्त आरिफ हसन के कार्यकाल में निष्पादित हुए कार्यों पर पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए जहां एक और माननीय मेयर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके कार्यकाल में निष्पादित कार्यों की जांच की बात कह रही है, वहीं दूसरी और माननीय उप महापौर पूर्व नगर आयुक्त के पक्ष में समर्थन कर रही है वही कूछ मा. वार्ड पार्षद दोनों ओर से मुखर होकर पक्ष और विपक्ष के समर्थन में जुबानी जंग जारी किए हुए हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि, ज्ञात होगा नगर निगम एक स्वायत्त संस्था है जहां पारदर्शिता के साथ सभी तरह का कार्य करना बोर्ड का नैतिक कर्तव्य है। नगर निगम क्षेत्र के आम जनता की बुनियादी समस्याओं के निदानार्थ बोर्ड किसी भी विकासात्मक कार्य के लिए सर्वप्रथम प्रस्ताव लाती है तब उन प्रस्तावों पर बोर्ड की बैठक में विचारों प्रांत बहुमत से वह प्रस्ताव पारित होती है, तदोपरांत बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्तावित प्रस्तावों को सम्पुष्ट कर उस प्रस्तावित बिंदुओं को क्रियान्वित करती है
तो फिर अगर पूर्व नगर आयुक्त के कार्यों की जांच होनी है और उन्हें आरोपित किया जाना है तो बोर्ड के मा. महापौर मा. उपमहापौर और मा. पार्षद गण भी इस भ्रष्टाचार के लिए उतने ही दोषी हैं जीतने की नगर आयुक्त। इन विसंगति युक्त तथ्यों के आलोक में बोर्ड के माननीय की भूमिका की भी जांच होनी आवश्यक है क्योंकि सभी प्रस्ताव बोर्ड के माध्यम से प्रस्तावों के द्वारा लिए गए, सम्पुष्ट हुए और उन पर क्रियान्वयन भी हुआ और उन निष्पादित कार्यों का आलोक में राशि की भुगतान भी की गई। तो फिर दोषी कार्यपालिका शक्ति अकेली कैसे ?
उन्होंने कहा कि, यह बात भी सत्य है कि श्रीमान नगर आयुक्त आरिफ हसन जी के कार्यकाल में विभिन्न वाहन क्रय, कार्यालय कक्ष, सभागार, अवांछित वाहन एवं अन्य चीजों का क्रय, अनाधिकृत आवास में लाखों के खर्च, जेम पोर्टल से क्रय और सरकार से विभागीय कार्य हेतु निर्देशित पत्र के विरुद्ध विभागीय कार्यों का क्रियान्वयन और निष्पादन के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए का बंदरबांट भी हुआ है जिसकी जांच निगरानी होना आवश्यक है।
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