दियारा में सैकडो की संख्या में भैंसवार मौजूद थे, परंतु अपराधियों के डर से सभी चुप्पी साधे हुए थे, पता नहीं कब फिर अपराधियों की गोली उनपर बरस पडे
पूर्णिया, अभय कुमार सिंह: बैरिया गांव के राजेश यादव की हत्या के बाद टीकापट्टी एवं मोहनपुर पुलिस ने अपराधियों के धड-पकड तथा घटना स्थल का पता करने के लिए संयुक्त अभियान चलाया, परंतु पुलिस लगभग पांच घंटों तक अभियान बाद वह भी संयोग से अंधेरा होने से ठीक पहले घटना स्थल का पता चल पाया। दोनों थानों की पुलिस बेरमा बहियार या फिर कहें इस लगभग बीस वर्ग किलोमीटर में फैले इस दियारा में पांच घंटों तक खाक छानती रही। दियारा में सैकडो की संख्या में चरवाहे भैंस चरा रहे थे, परंतु अपराधियों के खौफ उनके चेहरे पर स्पष्ट दिख रहे थे। कोई भी व्यक्ति पुलिस को सहयोग करने को तैयार नहीं था। सभी का एक ही जवाब वह नहीं जानता है। यह तो संयोग कहें कि अंधेरा होने से ठीक पहले गांव से पीडित परिवार से एक व्यक्ति पहूंचा तथा उसने घटना स्थल को दिखाया। अन्यथा पुलिस को खाली हाथ लौटना पडता। पुलिस ने घटना स्थल पर खोखा की काफी तालाश की, परंतु वह बरामद नहीं हो पाया।
- घटना स्थल पर मक्का के खेत में खून की धारा बह निकली थी-
जिस जगह किसान राजेश यादव को गोली मारी गई थी, उस जगह पर खून-ही-खून फैले हुए थे। बगल में लाठी पडा हुआ था। कचिया पडी हुई थी, टोकडी पडी हुई थी, उसकी फूलपैंट पडी हुई थी। किसी ने नहीं सोचा था कि राजेश का यह अंतिम दिन होगा। कैसा लगा होगा, जब उसकी पत्नी, भाई, पुत्र के सामने ही अपराधियों ने राजेश पर गोलियां बरसाकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। किसी की भी हिम्मत नहीं हुई थी कि वह उनका प्रतिकार करते।
- दियारा में जिसकी लाठी उसकी भैंसवाली कहावत चरितार्थ होती रही है-
कहते हैं दियारा में उसी की चलती है, जिसकी लाठी होती है, अन्यथा थोडा भी विरोध करने पर उन्हें या तो लाठी खानी पडती है या फिर गोली खाकर जान गंवानी पडती है , जैसा कि किसान राजेश के साथ हुआ है। इस दियारा में वर्त्तमान में अपराधियों का एक बहुत बडा गैंग तैयार हो गया है, जिसमें जंगलटोला सहित आसपास के गांवों के अपराधी शामिल हैं। वेलोग कहीं भी किसी की जमीन पर अपना अधिकार जमाते हैं तथा फसल काटने के एवज में किसानों से मोटी रकम की वसूली करते हैं। पुलिस का समुचित सुरक्षा नहीं मिलने से किसानों की मजबूरी हो जाती है कि वे अपराधियों से समझौता कर लें।
- साहु परवत्ता के किसानों की इस दियारा क्षेत्र में है सैकडो एकड जमीन-
- इस जमीन पर यहां के कुछ लोगों की बुरी नजर है, वे अपराधियों को सह देते हैं
मोहनपुर एवं टीकापट्टी थाना सीमा पर बहुत बडा दियारा क्षेत्र है, भौगोलिक दृष्टि कोण से यह क्षेत्र आजभी काफी दुर्गम है। यहां आवगमन की सुविधा लगभग शून्य है, जिसका सीधा फायदा यहां के अपराधी उठाते रहे हैं। मोबाइल का समय आ जाने से पुलिस की हर गतिविधि अपराधियों को मिलती रहती है, जिससे अपराधी आराम से भाग निकलते हैं। इस दियारा क्षेत्र में अधिकतर जमीनें भागलपुर जिले के साहु परवत्ता के जमींदारों के हैं, जिसकी देखभाल स्थानीय लोग ही करते हैं। अब यही स्थानीय लोगों की बुरी नजर उनकी जमीन पर पड गई है तथा वे एक साजिश के तहत जमीनदार को यहां से बेदखल करना चाहते हैं। इसमे कुछ स्थानीय सफेदपोश भी शामिल हैं, जिनकी भी नजर इन जमीनों पर हैं। वे इन अपराधियों को शह देते रहते हैं ताकि जमींदार मजबूर होकर बेचकर यहां से भाग जाएं। जमींदारों के साथ कईबारयहां के अपराधियों द्वारा मारपीट की गई है तथा मामले भी दर्ज हुए हैं। अभी मार्च के अंतिम सप्ताह में भी साहु परवत्ता के जमींदार जब यहां गेंहूं काटने के लिए कंपायन लेकर आए, तब अपराधियों ने कंपायन के दोनों चालकों का अपहरण कर लिया था तथा बुरी तरह से पिटाई की थी। इतना ही नहीं, उन्होंने कंपायन के टायरों में गोलियां बरसाकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। तब स्वयं एसपी यहां का दौरा किये थे। बावजूद अपराधियों का मनोबल काफी उंचा है। कुल मिलाकर अपराधी अपना काम करके निकल जा रहे हैं, देखें पुलिस कब उनपर भारी पडती है।
- बैरिया में फिर से पुलिस कैंप की मांग उठी-
बैरिया गांव में एकबार फिर से पुलिस कैंप की मांग उठ गई है। यह बता दें कि बैरिया में नक्सलियों द्वारा शिक्षक की हत्या किये जाने तथा लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पर यहां 2006 में सैप जवानों का एक कैंप सामुदायिक भवन में लगाया गया था। जिनके द्वारा इस क्षेत्र को पूरी तरह से शांत कर दिया गया था। परंतु बाद में लगभग पांच साल पहले यहां से कैंप को हटा लिया गया, तबसे अपराधियों का मनोबल फिर से उंचा होने लगा है। इसलिए लोग अब फिर से यहां पुलिस कैंप देने की मांग करने लगे हैं।
- हो बाबू हमरा सामने हमरो पति के गोली मारी देलकय
- राजेश का शव गांव पहूंचते ही सभी चित्कार कर उठे
हो बाबू हमरा सामने हमरो पति के रंगदारें पैसा नै देलके त गोली मारी देलकै हो। उक्त रूदन-क्रंदन गोली का शिकार मृतक किसान राजेश यादव की पत्नी उषा देवी का था। वह तडप कर कहती है कि भगवान कभी भला नै करतै, ओकरो जान वोनाही के भगवान लेतै। उषा देवी चित्कार करते हुए कहती हैं कि बदमाश उसे क्यों नहीं मार दी, जो उसके पति को मार दिया। अब कैसे पार लगेगी उनकी जीवन की नैया। यह बता दें कि टीकापट्टी मोहनपुर ओपी सीमा पर बैरिया गांव के बेनमा बहियार में दोपहर को लगभग आठ अपराधियों ने किसान राजेश यादव को इसलिए गोली मार दी थी, कि उसने उन्हें मक्का कटनी को लेकर अपराधियों द्वारा बंधी-बंधायी रंगदारी देने में आनाकानी की थी। वहां दर्जनों किसान, मजदूर मौजूद थे, परंतु अपराधी आराम से गोलियां बरसाते हत्या कर चलते बने, किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उनका प्रतिकार करें। राजेश यादव का जैसे ही शव गांव पहूंचा, वैसे ही हर व्यक्ति के आंखों से आंसू बह निकले। उसकी पत्नी उषा देवी, मां डोमनी देवी, पिता रामदेव यादव, भाई बिजली यादव, भाई संजय यादव, पुत्र लालू यादव, साजन यादव, बेटी प्रीति कुमारी सभी उसके शव से लिपटकर चित्कार कर उठे।
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